मार्च 2019 में खरमास, मलमास कब से कब तक || Malmas Date 2019, Kharmas Start and End Date 2019
भारतीय ज्योतिष के अनुसार ग्रहों की चाल और उनकी स्थिति का प्रभाव व्यक्ति के जीवन और जिंदगी में घटित होने वाली प्रत्येक घटना पर पड़ता है। जिसके कारण कई बार लाभ मिलता है तो कई बार हानि झेलनी पड़ती है
हों की इन्ही स्थितियों में से एक है मलमास जिसे लोग खरमास भी कहते हैं। जिस प्रकार श्राद्ध और चातुर्मास में किसी भी तरह के शुभ और नए कार्य करना वर्जित होता है उसी तरह खरमास में भी विशेष कार्यों को वर्जित माना जाता है
हिन्दू पंचांग के अनुसार, सूर्य हरेक राशि में पुरे एक महीने के लिए रहता है। जिसके मुताबिक पुरे साल भर यानी 12 महीनों में सूर्य 12 राशियों में प्रवेश करता है। सूर्य का ये भ्रमण पुरे साल चलता है इसी कारण साल भर में शुभ अशुभ मुहूर्त बदलते रहते हैं। 12 राशियों में भ्रमण करते हुए जब सूर्य गुरु (बृहस्पति) की राशि धनु या मीन में प्रवेश करता है तो खरमास प्रारंभ हो जाता है। सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने पर सभी शुभ कार्य एक महीने के लिए बंद हो जाते हैं। और जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है तो सभी शुभ कार्य दोबारा शुरू हो जाते हैं
खरमास 2019 कब से कब तक है?
मलमास 2019 होलाष्टक के बाद लगने वाला है। जिसके बाद सभी मांगलिक कार्य जैसे शादी-विवाह, गृह प्रवेश, गृह निर्माण, वधु प्रवेश, आदि वर्जित होंगे।
पंचांग 2019 के अनुसार 15 मार्च को सूर्य बृहस्पति की राशि मीन में प्रवेश कर रहा है जिसके साथ ही खरमास 2019 प्रारंभ हो जाएगा। जो एक महीने तक रहेगा।
ज्योतिष के अनुसार, 15 मार्च 2019 शुक्रवार को प्रातः 05:55 बजे सूर्य मीन राशि में प्रवेश करेगा। जिसके बाद अगले एक महीने तक कोई मांगलिक कार्य नहीं किये जाएंगे।
खरमास प्रारंभ = 15 मार्च 2019 शुक्रवार को प्रातः 05:55 बजे
खरमास समाप्त = 14 अप्रैल 2019 रविवार दोपहर 02:25 बजे
मलमास में क्या ना करें?
शास्त्रों के अनुसार, मलमास (खरमास) में कोई मांगलिक कार्य जैसे – शादी, सगाई, वधु प्रवेश, द्विरागमन, गृह प्रवेश, गृह निर्माण, नए व्यापार का आरंभ आदि नहीं किये जाते। क्यूंकि इस दौरान सूर्य गुरु की राशि में रहता है जिसके कारण गुरु का प्रभाव कम हो जाता है। और मांगलिक कार्यों के सिद्ध होने के लिए गुरु का प्रबल होना बहुत जरुरी है। क्यूंकि बृहस्पति जीवन के वैवाहिक सुख और संतान देने वाला होता है।
मलमास के दौरान, गंगा और गोदावरी के साथ-साथ उत्तर भारत के उत्तरांचल, उत्तरप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, राजस्थान, राज्यों में सभी मांगलिक कार्य व यज्ञ करना निषेध होता है, जबकि पूर्वी व दक्षिण प्रदेशों में इसे दोष नहीं माना गया है।
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