2 . श्री राधा रानी के भक्तो के भाव ( राधा रानी कृपा कटाक्ष
हमारा वैध दुनियाँ मेँ वो बाँके बिहारी है ।
उसी नेँ दर्द दे कर के,मेरा ये हालकर डाला ।
ळगाया रोग अब ऐसा , मुझे बेहाल कर डाला।
दवा देगा अब वही आकर,उसी की इन्तजारी है ।
हमारा वैध दुनियाँ मेँ वो बाँके बिहारी है
समुन्द्र मेँ ना होगा पानी जितना,
इन आँखो से उतना बहा चुके है.....!
मेरे दिल पर थी अब तक हुकूमत मेरी,
अब तुमको मालिक बना चुके है.........!!
मंदिर में फूल चढ़ा कर आए तो यह एहसास हुआ कि...
पत्थरों को मनाने में ,
फूलों का क़त्ल कर आए हम ।
गए थे गुनाहों की माफ़ी माँगने ....
वहाँ एक और गुनाह कर आए हम
रब ने नवाजा हमें जिंदगी देकर;
और हम शौहरत मांगते रह गये;
जिंदगी गुजार दी शौहरत के पीछे;
फिर जीने की मौहलत मांगते रह गये।
कोई श्याम सुन्दर से... कह दो ...यह जाके,
भुला... क्यों दिया हमें... अपना बना के |
अभी मैंने तुमको... निहारा... नहीं है,
तुम्हारे सिवा... कोई... हमारा नहीं है |
चले क्यों गए... श्याम दीवाना बना के,
भुला क्यों दिया हमें... अपना बना के |
तेरी चौखट पे आना मेरा काम था...
मेरी बिगड़ी बनाना तेरा काम है।
छोड़ दी किश्ती मैंने तेरे नाम पर....
अब किनारे लगाना तेरा काम है।।
प्यार भरा जय श्री राधे.....!!
होठो पे एक मुस्कान ही काफी है
दिल में एक अरमान ही काफी है
कुछ नहीं चाहिए जिन्दगी से अब श्यामा
आप याद आते रहे ये एहसान ही काफी है
वह मोद न मुक्ति के मंदिर में,
जो प्रमोद भरा ब्रज धाम मे हैं।
इतनी छवि राशी कहीं भी नहीं,
जितनी छवि सुन्दर श्याम में हैं।।
शशि मैना सरोज सुधा रस में,
न लता ललिता अविराम में हैं।
इतना सुख और कहीं भी नहीं,
जितना सुख कृष्ण के नाम में हैं।।
प्रेम से बोलो राधे - राधे
गिला आपसे नहीं कोई
गिला हम अपनी मजबूरियों से करते हैं
आप आज हमारे करीब नहीं तो ना सही
मुहब्बत तो हम आपकी दूरियों से भी करते हैं
देखी जो नब्ज मेरी,
तो हँस कर बोला हकीम,
जा दीदार कर साँवरिया का,
जो तेरे हर मर्ज की दवा है ..
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला
मै तो कहूँ सांवरिया मुरलीवाला।
राधे ने श्याम कहा मीरा ने गिरिधर
द्रोपदी ने कृष्ण कहा कुब्जा ने नटवर
ग्वालों ने तुम को पुकारा है ग्वाला
मै तो कहूँ सावरियां खाटूवाला......
दुनिया का सबसे बेहतरीन रिश्ता वहीं होता है
जहाँ एक हल्की सी मुस्कराहट और छोटी सी
माफ़ी से ज़िन्दगी दोबारा पहले जैसी हो जाती है.
बदला ले लेने का आनंद दो-चार दिन ही रहेगा,
..........लेकिन..........
माफ कर देने का आनंद जिंदगी भर रहेगा,
दीवानी बन जाऊँगी, मस्तानी बन
जाऊँगी
दीवानी बन जाऊँगी, मस्तानी बन
जाऊँगी
मैं तो अपने श्याम की दीवानी बन
जाऊँगी
विश्वास पर चलकर ...भगवान .. मिलते हैं,
एक बात याद रखना दोस्त,,,,,!!
सुख में सब मिलते है,
लेकिन दुख में सिर्फ ..भगवान .मिलते ह
जैसे दूध में चावल मिलाने से खीर बनती है...
मेरे श्याम के चरणों में शीश झुकाने से तकदीर बनती है...
अपमान करना किसी के स्वभाव में हो सकता हे पर
सम्मान करना हमारे संस्कार में होना ही चाहिए
बांसुरी भगवान श्री कृष्ण को अति प्रिय है, क्योंकि बांसुरी में तीन गुण है।
पहला बांसुरी मं गांठ नहीं है। जो संकेत देता है कि अपने अंदर किसी भी प्रकार की गांठ मत रखों। मन में बदले की भावना मत रखो।
दूसरा बिना बजाये ये बजती नहीं है। मानो बता रही है कि जब तक ना कहा जाए तब तक मत बोलो।
और तीसरा जब भी बजती है मधुर ही बजती है। जिसका अर्थ हुआ जब भी बोलो, मीठा ही बोलो। जब ऐसे गुण किसी में भगवान देखते हैं, तो उसे उठाकर अपने होंठों से लगा लेते है!
बिहारी जी को पाकर अब खोना नही चाहते
इतना खुश होकर अब रोना नही चाहते
ये आलम है उनकी जुदाई मेँ हमारा
कि आँखो मेँ नीँद है पर सोना नही चाहते ...
मुश्किल है सहन करना
ये दर्द जुदाई का
मुझे कुछ तो बता कान्हा
कारण रुसवाई का
प्यारे
इतनी शिद्दत से याद ए हो,
जेसे फिर याद ही नहीं आना.....
कागज अपनी किस्मत से उड़ता है;
लेकिन पतंग अपनी काबिलियत से!
इसलिए किस्मत साथ दे या न दे;
काबिलियत जरुर साथ देती है!
दो अक्षर का होता है लक;
ढाई अक्षर का होता है भाग्य;
तीन अक्षर का होता है नसीब;
साढ़े तीन अक्षर की होती है किस्मत;
पर ये चारों के चारों चार अक्षर, मेहनत से छोटे होते हैं!........
काम करो ऐसा कि पहचान बन जाये;
हर कदम चलो ऐसे कि निशान बन जायें;
यह जिंदगी तो सब काट लेते हैं;
जिंदगी ऐसे जियो कि मिसाल बन जाये!
भगवान की भक्ति करने से शायद हमें माँ न मिले;
लेकिन माँ की भक्ति करने से भगवान् अवश्य मिलेंगे!
अहंकार में तीन गए;
धन, वैभव और वंश!
ना मानो तो देख लो;
रावन, कौरव और कंस!
स्वास्थ्य सबसे बड़ी दौलत है!
संतोष सबसे बड़ा खजाना है!
आत्म -विश्वास सबसे बड़ा मित्र है!
सौ रंग मौहब्बत के यह मुझको दिखाती है
ना रूटती है मुझसे ना यह शर्माती है
सीने से लगा लू तो यह लग जाती है
हे मोहन! तुमसे तो अच्छी तस्वीर तुम्हारी है
जो बात सामने...
शमशान ऐसे लोगो की राख से...
भरा पड़ा है
जो समझते थे,,,
दुनिया उनके बिना चल नहीं सकती.
हाथ में टच फ़ोन,
बस स्टेटस के लिये अच्छा है…
सबके टच में रहो,
जींदगी के लिये ज्यादा अच्छा है…
मूर्खो से बहस करके कोई भी व्यक्ति बुद्धिमान नहीं
कहला सकता,मुर्ख पर विजय पाने का एकमात्र उपाय यही हैं
की उसकी और ध्यान नहीं दिया जाए।
सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयः।
सर्वे भाद्रानु पश्यन्तु
मा कश्चिद दुःख भाग भवेत।।
तुम्हारी इस अदा का क्या जवाब
दू ,
अपने राधे को क्या उपहार दू,
कोई अच्छा सा फूल
होता तो माली से मंगवाते,
जो खुद गुलाब है
उसको क्या गुलाब दू..
जब तुम अपना दुःख बांटते हो, तो वह
घटता नहीं|
जब तुम अपना आनंद नहीं बांटते, तो वह घट
जाता है|
अपनी समस्याएं केवल ईश्वर के साथ
ही बांटो,
अपना आनंद सबके साथ बांटो,|
जो साख टूटती है वो लचकती जरूर है,
सम्मा बुझने से पहले फरकती जरुर है,
यदि उनको देखना है तो नजरे जमाये रखना,
परदा हो या चिलमन सरकती जरुर है.
ब्रजमण्डल के कण कण में हैं,
बसी तेरी ठकुराई
श्री यमुना जी की लहर
लहर
ने, तेरी महिमा गाई!! हो राधे
तेरी महिमा गाई..........
रात दिनां तेरो यश गाँवे, श्री राधे
मेरी करुणामयी सरकार......
हे वृषभान दुलारी, अब
करो कृपा की कोर
हे बरसाने वाली, अब देखलो मेरी ओंर,
हो राधे अब देखलो मेरी ओर
ब्रजमण्डल के कण कण........!..!
ना जीने की खुशी ना मरने का गम,
बस तुमसे मिलने की दुआ करते है हम,
जीतें है इस आस पर एक दिन तुम आओगे,
मरते इसलिए नहीं क्युँकी अकेले रह
जाओगे........||श्री राधे राधे||
ऐ श्याम नजरो को कुछ
ऐसी रोशनाई दे, जिधर
देखूँ उधर तू हि दिखाई
दे, करदे एसी कृपा आज
हवा में कि श्री श्याम पुकारू
ओर पुरे संसार को सुनाई दे
||श्री राधे राधे|
कसूर है
हमारी आँखों का जो आपको नहीं देख
पाती......
मैंने तो सुना हे ....सांवरिया,, ...
आप नजर आते हे उन्हें
भी जिनकी आंखे नहीं होती..!!
नशा ज़रूरी है ज़िन्दगी के लिए ...
.पर ,सिर्फ शराब ही काफी नहीं है
बेखुदी के लिए ...
मेरे कन्हैया की आँखों में डूब कर
तो देख ...
बड़ा ही हसीन समुन्द्र है ख़ुदकुशी के लिए ...
कोई शाम आती है तुम्हारी याद लेकर
कोई शाम जाती है तुम्हारी याद देकर
हमें तो उस शाम का इंतजार है
जो आये राधे -तुम्हे साथ लेकर..
"मैं भूलू ना नाम तुमारा प्रभु, चाहे जागु या स्वप्नों मैं सोता रहू
हरे कृष्ण ही कृष्ण पुकारा करू मुख आंसुओ से नित धोता रहू ब्रजराज
तुमारे बियोग मैं, बस यूँ ही निरंतर रोता रहू "
मन में बसी बस चाह यही प्रिय नाम तुम्हारा उचारा करूं।
बिठला के तुम्हें मन मंदिर में मन मोहन रूप निहारा करूं॥
भर के दृग पात्र में प्रेम का जल पद पंकज नाथ
पखारा करूं।
बन प्रेम पुजारी तुम्हारा प्रभो नित आरती भव्य
तेरे पास में बैठना भी इबादत,
तुझे दूर से देखना भी इबादत.
न माला, न मंतर, न पूजा, न सजदा
तुझे हर घड़ी सोचना भी इबादत !
तुझे हर प्रेमी में देख कर प्रेम करना
तुझे हर पल प्यार करना भी इबादत है
मीठे बोल बोलिये क्योंकि अल्फाजों में जान
होती है;
इन्हीं से आरती, अरदास और इन्हीं से अज़ान
होती है;
यह समुंदर के वह मोती हैं;
जिनसे इंसानों की पहचान होती है!"
स्वास्थ्य सबसे बड़ी दौलत है! संतोष सबसे
बड़ा खजाना है! आत्म -विश्वास सबसे
बड़ा मित्र है!
अहंकार में तीन गए;
धन, वैभव और वंश!
ना मानो तो देख लो;
रावन, कौरव और कंस!
कभी आँखें मिलाते हैं, कभी आँखें दिखाते हैं
उनकी अदा है बस ऐसी,
कभी दिल से लगाते हैं, कभी नखरे दिखाते
ह
जो औरों की राहों में कांटे बिछाते हैं
वो अपना भी रास्ता कभी न पाते हैं
जो रोशनी बुझाते हैं औरों के घर की,
उनके घर भी अंधेरों में डूब जाते जाते ह
कभी हमदम बनाते हैं, कभी नफरत दिखाते
हैं
हे राधा रमण मैं हूँ, तुम्हरी शरण...
हे राधा रमण मैं हूँ , तुम्हरी शरण...
तुम्हरी शरण, प्रभु तुम्हरी शरण...
हे राधा रमण मैं हूँ, तुम्हरी शरण...
जल से पतला जनन है
और पाप भूमि से भारी
क्रोध अगन से तेज है
और कलंक काजल से काली
इंसान भगवान को कहता है तन मन धन सब कूछ है तेरा तेरा तुझ को अर्पण क्या लागे मेरा
फिर भी इन्सान दुःखी है
वह भी दूसरो के सूख से
वह दूसरो के सूख देख कर इतना दुःखी हो जाता है कि भगवान को भूल जाता है
नशीली आँखों से जब वो हमें देखते है🐾
🐾हम घबराकर आँखे झुका लेते है🐾
🐾कौन मिलाये उन आँखों से आखे🐾
🐾सुना है वो नज़रों से दिल चुरा लेते
रिश्ते इलेक्ट्रिक करंट की तरह होते हैं,
ग़लत जुड़ जाएँ तो ज़िन्दगी भर झटके,
और अगर सही जुड़ जाएँ तो आपका पूर्ण जीवन प्रकाशमान ।।।।
तेरा हुआ ज़िक्र तो हम; तेरे सजदे में झुक गये,,,
अब क्या फर्क पड़ता है; मंदिर में झुक गये या;
मस्जिद में झुक गये
मैं "किसी से" बेहतर करुं
क्या फर्क पड़ता है..!
मै "किसी का" बेहतर करूं
बहुत फर्क पड़ता है..!!
नाम महाधन है अपनो नही द्सरी संपत्ति और कमानी
छोड़ अटारी अटा जग के हम को कुटिया वृज माही बनानी
हे मेरी करूणामयी सरकार,, अब करो कृपा की कोर,, श्रीराधे अब करो कृपा की कोर,,।।
हे वृषभानु दुलारी,, अब देखलो मेरी ओर,, राधा रानी अब देखलो मेरी ओर,, राधे अब देखलो मेरी ओर,,,,,,
वह सुन्दर रूप विलोकि सखी मन हाथ से मेरो भगो सो भगो
चित सांवरी मूरत देखत ही हरि चंद जु जाय पगो सो पगो
हमें औरन सो कछु काम नहीं अब तो जो कलंक लगो सो लगो
रंग दूसर और चढ़ैगो नहीं सखी सांवरो रंग रंगो सो रंगो
तेरे हर हूक्म पर गुजारा करुँ
तेरी हर रज़ा को गँवारा करु
बने आईना तूँ मेरा सतगुरु
तुझे देख-देख खुद को सँवारा करु..
मीठे बोल बोलिये क्योंकि अल्फाजों में जान
होती है;
इन्हीं से आरती, अरदास और इन्हीं से अज़ान
होती है;
यह समुंदर के वह मोती हैं;
जिनसे इंसानों की पहचान होती है!
मेरा दिल दीवाना हो गया वृंदावन की गलियों में ,
जो होना था सो हो गया ,वृंदावन की गलियों में
कोई चाँद से मुहब्बत करता है ......
कोई सूरज से मुहब्बत करता है .........
कोई धन दौलत से मुहब्बत करता है ........
कोई खुद से मुहब्बत करता है ........
लेकिन हम तो वोह दीवाने है जो उसको मुहब्बत करते हैं ..
जो मेरे श्री श्याम प्रभु से मुहब्बत करता है ..!
जय श्री श्याम
मंन्दिर मै रहते हो भगवन ...
कभी बहार भी अ जाया करो..!
मै रोज तेरे घर आता हूँ.,.
कभी तुम भी मेरे घर आया करो.
जिसने तेरी आँखों की शरारत नहीं देखी .......!
वो लाख़ कहे पर उसने मोहब्बत नहीं देखी .....!!
राधे - राधे.
तेरा दर्श पाने को जी चाहता है।
खुदी को मिटाने का जी चाहता है॥
पिला दो मुझे मस्ती के प्याले।
मस्ती में आने को जी चाहता है॥
उठे श्याम तेरे मोहोब्बत का दरिया।
मेरा डूब जाने को जी चाहता है॥
यह दुनिया है एक नज़र का धोखा।
इसे ठुकराने को जी चाहता है॥
तेरा दर्श पाने को जी चाहता है।
खुदी को मिटाने का जी चाहता है॥
वक़्त अच्छा ज़रूर आता है;
मगर वक़्त पर ही आता है!
कागज अपनी किस्मत से उड़ता है;
लेकिन पतंग अपनी काबिलियत से!
इसलिए किस्मत साथ दे या न दे;
काबिलियत जरुर साथ देती है!
मेरे मुस्कुराते चेहरे को देख तुम मुझे
क्या समझोगे.
मुझे तो वो नही समझ पाया जिसने मुझे
मुस्कुराना सिखाया...!
श्री कृष्णा
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❄"हर रिश्ते में विश्वास रहने दो;
❄जुबान पर हर वक़्त मिठास रहने दो;
❄यही तो अंदाज़ है जिंदगी जीने का;
❄न खुद रहो उदास, न दूसरों को रहने दो..!"
रोज तारीख बदलती है, रोज दिन बदलते हैं...
रोज अपनी उमर भी बदलती है...
रोज समय भी बदलता है...
हमारे नजरिये भी वक्त के साथ बदलते हैं...
बस एक ही चीज है जो नहीं बदलती...
और वो हैं हम खुद और बस ईसी वजह से हमें लगता है कि अब जमाना बदल गया है.
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आचार्य सोनू तिवारी जी
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