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★★श्री राधा रानी कृपा-कटाक्ष समूह में आप भक्तो आपका स्वागत ...... सभी देश वासिओ को होली की बहुत बहुत शुभकामनाए


सभी गायत्री मंत्र पुष्पांजलि मंत्र (Pushpanjali )


1 ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि,
तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥

2. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥

3. ओम् आंजनेयाय विद्मिहे वायुपुत्राय धीमहि |

तन्नो: हनुमान: प्रचोदयात |

4. ओम् रामदूताय विद्मिहे कपिराजाय धीमहि |
तन्नो: मारुति: प्रचोदयात ||

5. ओम् अन्जनिसुताय विद्मिहे महाबलाय धीमहि |
तन्नो: मारुति: प्रचोदयात ||

6. ॐ नव कुलाय विध्महे विषदन्ताय धी माहि
तन्नो सर्प प्रचोदयात ll

7. ओम् देवकी नन्दनाय विद्मिहे वासुदेवाय धीमहि |
कृष्णं तन्नो: प्रचोदयात ||

8. ओम्  दामोदराय  विद्मिहे रुक्मणि वल्लभाय धीमहि |

तन्नो: कृष्णं प्रचोदयात ||

9. ओम् क्लीं कृष्णाय नमः |
ॐ वृषभानुज्यै विधमहे कृष्णप्रियायै धीमहि
तन्नो राधा प्रचोदयात

10. ॐ दशरथाय विद्महे सीता वल्लभाय धीमहि तन्नो रामः प्रचोदयात्।

11. ॐ तत्पुरूषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्रः प्रचोदयात्।

12. ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात ॥

13. ओम भास्कराय विधमहे दिवा कराय धीमहि तन्नो सूर्य प्रचोदयात ॥

ॐ सुजातो ज्योतिषा सह शर्मवरूथमासदत्स्वः |

वासोग्ने विश्वरूपर्ठ संव्ययस्व विभावसो ||


 मंत्र पुष्पांजलि

ॐ यज्ञेन यज्ञमयजंत देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन् ।
                ते ह नाकं महिमानः सचंत यत्र पूर्वे साध्याः संति देवाः ॥ 
ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे।
               स मे कामान्‌ कामकामाय मह्यं कामेश्वरो वैश्रवणो ददातु। 
  
कुबेराय वैश्रवणाय महाराजाय नम:।

ॐ स्वस्ति साम्राज्यं भौज्यं स्वाराज्यं वैराज्यं पारमेष्ठ्यं राज्यं माहाराज्यमाधिपत्यमयं समंतपर्यायी स्यात्‌ सार्वभौम: सार्वायुषान्तादापरार्धात्‌ । पृथिव्यै समुद्रपर्यन्ताया एकराडिति तदप्येष् श्लोकोऽभिगीतो मरुत: परिवेष्टारो मरुत्तस्यावसन्‌ गृहे । आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवा: सभासद इति ॥

भोग लगाने का मन्त्र
त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये ।
गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।

प्राणाय स्वाहा : तर्जनी मध्यमा और अंगुष्ठ द्वारा |
अपानाय स्वाहा : मध्यमा, अनामिका और अंगुष्ठ द्वारा |
व्यानाय स्वाहा : अनामिका, कनिष्ठिका और अंगुष्ठ द्वारा
उदानाय स्वाह : मध्यमा, कनिष्ठिका अंगुष्ठ द्वारा
सामानाय स्वाहा : तर्जनी, अनामिका, अंगुष्ठ द्वारा
ब्रह्मणे स्वाहा : सभी पांचो उंगलियो द्वारा 
  
                         


ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पुर्णमुदच्यते
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

पं सोनू तिवारी जी

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