मंगलाचरण ( mangalacharan )
गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु, गुरुर देवो महेश्वरा ।
गुरुर साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
बर्हापीडं नटवरवपुः कर्णयोः कर्णिकारं ।
बिभ्रद्वासः कनककपिशं वैजयन्तीं च मालाम ॥
रंध्रान्वेणोरधरसुधयापूरयन्गोपवृन्दैर ।
वृन्दारण्यं स्वपदरमणं प्राविशद्गीतकीर्तिः ॥
गोपाल बालम् भुवनेक पालम् संसार माया मति मोह जालम् |
यशो विशालम् शिशुपाल कालम् बालम् मुकुन्दं मनसा स्मरामि ||
यं प्रव्रजन्तमनुपेतमपेतकृत्यं द्वैपायनो विरहकातर आजुहाव |
पुत्रेति तन्मयतया तरवोभिनेदुस्तं सर्वभूतह्रदयं मुनिमानतोअस्मि ||
नमः कुञ्ज बिहारण्यै नमः कुञ्ज बिहारिणे |
स्वामी श्री हरिदासाय गुरुनाम गुरवे नमः ||
गुर्वर्थे त्यक्तराज्यो व्यचरदनुवनं पद्मपद्मयां प्रियायाः
पाणिस्पर्शाक्षमाभ्यां म्रजितपथरुजो यो हरिन्द्रानुजाभ्याम् |
वैरूप्याच्छूर्पणख्याः प्रियविरहरुषारोपितभ्रूविजृम्भ
त्रिस्ताब्धिर्बद्धसेतुः खलदवदहनः कोसलेन्द्रोऽवतान्नः ||
देहम सदा परिभवऽघ्नम् अभिष्ट दोऽहं |
तीर्थस्पदम् सिव विरञ्चि नुतम् सरण्यम् ||
वृह्यैर्थि हम् प्रणत पाल भवाब्धि पोतम् |
वन्दे महा पुरुष ते चरणऽरविन्दम् ||
कृष्ण त्वदीयपदपङ्कजपञ्जरान्तम्
अध्यैव मे विशतु मानसराजहंसः |
प्राण प्रयाण समये कफ़वातपितैः
कण्ठावरोधनविधौ स्मरणं कुतस्ते ||
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यं |
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वतजातं नमामि ||
नारायणं नमस्कृत्य नरं चैव नरोत्तमम् |
देवीं सरस्वतीं व्यासं ततो जयमुदीरयेत ||
मंगलं भगवान विष्णुं मंगलं गरुडध्वज |
मंगलं पुण्डलीकाक्षो मंगलाय तनो हरिः ||
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे |
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||
मेरी भव बाधा हरो श्री राधा नागरी सोय |
जा तन कि ज्हायि परे तो श्याम हरित द्युति होय ||
श्री राधे मेरी स्वामिनि मै राधे जु को दास |
जनम जनम मोहे दीजियो श्री वृन्दावन को वास ||
लाख बार हरि हरि कहे एक बार हरिदास |
अति प्रसन्न श्री लाडली सदा विपिन को वास ||
मेरो मन माणिक गिरवि धरो श्री मनमोहन के पास |
प्रेम ब्याज इतनो बढ्यो कि न छूटन की आस ||
जय जय श्री राधा रमण जय जय नवल किशोर |
जय गोपी चित्त चोर प्रभु जय जय माखन चोर ||
भक्ति भक्त भगवन्त गुरु चतुर नाम वपु एक |
इनके पद वंदन किये तो नाशत विघ्न अनेक ||
जय जय श्री राधे || जय जय श्री राधे || जय जय श्री राधे ||
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सोनू तिवारी जी
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पं सोनू तिवारी जी
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