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2019 में गुरुपुष्य योग और रवि पुष्य योग तिथियां

2019 में गुरुपुष्य योग और रवि पुष्य योग तिथियां




   गुरुपुष्य योग  तिथियां 2019

    प्रारंभ काल                         समाप्तिकाल
6 जून     20:29 )                7 जून   सूर्योदयकाल
4 जुलाई    सूर्योदयकाल         4 जुलाई    ( 26:30 )
1 अगस्त   सूर्योदयकाल         1 अगस्त  ( 12:12 )


    रवि पुष्य योग तिथियां 2019

प्रारंभ काल                                     समाप्तिकाल
21 जनवरी  ( 05:22 )           21 जनवरी  सूर्योदयकाल
17 फरवरी   ( 16:46 )           18 फरवरी   सूर्योदयकाल
17 मार्च   सूर्योदयकाल          17 मार्च       ( 24:11 )
14 अप्रैल   सूर्योदयकाल        14 अप्रैल     ( 07:40 )
17 नवम्बर  ( 22:59 )           18 नवम्बर  सूर्योदयकाल
15 दिसंबर सूर्योदयकाल       16 दिसंबर   ( 04:01 )

गुरू पुष्य योग रवि पुष्य योग एक बहुत ही विशिष्ट एवं महत्वपूर्ण योग माना जाता है 
 इस योग के समय किए गए कार्यों में सफलता एवं शुभता की संभावना में वृद्धि होती है.
जिस दिन बृहस्पतिवार हो और उस दिन पुष्य नक्षत्र भी हो तो इन दोनों का संयोग गुरूपुष्य संयोग बनता है.इसी प्रकार जिस दिन रविवार हो ओर पुष्य नक्षत्र हो रवि पुष्य योग कहलाता है. इन योगों द्वारा व्यक्ति को उसके कार्यों में सफलता प्राप्त होने की संभावना बढ़ जाती है पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों में श्रेष्ठ माना जाता है वहीं पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों में राजा की उपाधि दी गई है इस नक्षत्र में प्रारंभ किए गए कार्यों का फल बहुत उत्तम प्राप्त होता है इस कारण से यदि आपको कुछ ऎसे काम करने हैं जिनमें आप जल्द से बदलाव की इच्छा न रखते हों ओर उसकी स्थिरता की चाह रखते हों तो यह नक्षत्र में करना बेहतर होता है



गुरुपुष्य योग में किए जाने वाले कार्य


यह योग किसी नए कार्य की शुरूआत करने के लिए उपयुक्त माना जाता है
यात्रा पर जाने, 
विद्या ग्रहण करने अथवा गुरू से मंत्र शिक्षा आध्यात्मिक उन्नती हेतु यह समय अनुकूल होता है. 
धार्मिक अनुष्ठानों के लिए भी इस योग का चयन श्रेष्ठ माना जाता है.
साथ ही राजकीय कार्यों में सफलता दिलाने में सहायक बनता है 

इस योग को अपनाने से पूर्व चंद्रबल पर भी ध्यान देने की आवश्यकता होती है. चंद्रमा का कमजोर नहीं होना चाहिए. साथ ही गुरु शुक्र ग्रहों का अस्त होना, ग्रहण काल, श्राद्ध पक्ष इत्यादि पर भी हमें ध्यान देने के उपरांत ही इस योग को ग्रहण करना लाभदायक बनता है.


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