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कल्कि अवतार कब और कहा होगा || Kalki Avatar kab aur kahan hoga ||

कल्कि अवतार




कल्कि को विष्णु  अंतिम अवतार माना गया है। 
पौराणिक मान्यता के अनुसार पृथ्वी पर पाप की सीमा पार होने लगेगी तब दुष्टों के संहार के लिए विष्णु का यह अवतार प्रकट होगा। भागवत पुराण में (स्कंध 12, अध्याय 2) कल्कि अवतार की कथा विस्तार से है। कथा के अनुसार सम्भल ग्राम में कल्कि का जन्म होगा।

अपने माता पिता की पांचवीं संतान कल्कि यथा समय देवदत्त नाम के घोड़े पर आरूढ़ होकर तलवार से दुष्टों का संहार करेंगे। तब सतयुग का प्रारंभ होगा

बुद्ध से पहले कृष्ण को सोलह कलाओं का अवतार माना गया। सभी अवतारों नें अपनी तरह से दुष्टों का और उनकी दुष्टता का दलन किया। अब जिस अवतार का इंतजार किया जा रहा है, वह निष्कलंक होगा।  

भागवत में कल्कि का संक्षिप्त विवरण ही है। 
पुराण के अनुसार कल्कि के पिता का नाम विष्णुयश और माता का नाम सुमति होगा। पिता विष्णुयश का अर्थ हुआ, ऐसा वयक्ति जो सर्वव्यापक परमात्मा की स्तुति करता लोकहितैषी है। सुमति का अर्थ है अच्छे विचार रखने और वेद, पुराण और विद्याओं को जानने वाली महिला।

उनके भाई जो उनसे बड़े होंगे सुमन्त, प्राज्ञ और कवि नाम के होंगे। याज्ञवलक्य जी पुरोहित और भगवान परशुराम उनके गुरू होंगे। कल्कि भगवान  की दो पत्नियाँ होंगी - लक्ष्मी रूपी पद्मा और वैष्णवी शक्ति रूपी रमा- ? उनके पुत्र होंगे - जय, विजय, मेघमाल तथा बलाहक।

कल्कि निष्कलंक अवतार हैं। भगवान का स्वरूप  परम दिव्य होता है। दिव्य अर्थात दैवीय गुणों से संपन्न। वे श्वेत अश्व पर सवार हैं। भगवान का रंग गोरा है, परन्तु क्रोध में काला भी हो जाता है। वे पीले वस्त्र धारण किए हैं।

प्रभु के हृदय पर श्रीवत्स का चिह्न अंकित है। गले में कौस्तुभ मणि है। स्वयं उनका मुख पूर्व की ओर है तथा अश्व दक्षिण में देखता प्रतीत होता है। युद्ध के समय उनके हाथों में दो तलवारें होती हैं।

आने वाले कल के लिए कल्पित एक मात्र महाविष्णु के 24 अवतारों में 24वाँ तथा प्रमुख अवतारों में दसवाँ और अन्तिम कल्कि अवतार के विषय में जो परिकल्पना है, वह निम्नलिखित रूप से है- नाम रूप – 'कल्कि पुराण' हिन्दुओं के विभिन्न धार्मिक एवं पौराणिक ग्रन्थों में से एक है।

लगभग सभी पुराणों के अनुसार कल्कि का जन्म एक ब्राह्मण विष्णुयश के घर पर होगा। कल्कि भगवन शिव के भक्त होंगे और उनके गुरु परशुराम होंगें

श्रीरामचरितमानस के किष्किन्धाकाण्ड  में एक देवी का वर्णन मिलता है। इन्होंने हनुमानजी तथा अन्य बानर बीरों को जल व फल दिया था तथा उन्हें गुफा से निकालकर सागर के तट पर पहुँचाया था। ये देवी स्वयंप्रभा हैं। यही देवी माता वैष्णव के रूप में प्रतिष्ठित हैं। कलयुग के अंतिम चरण में भगवान का कल्कि अवतार होगा। तब ये कल्कि भगवान दुष्टों को दंडित करेंगे और धरती पर धर्म की स्थापना करेंगे।[1] तथा देवी स्वयंप्रभा से श्रीरामावतार में दिए गए वचनानुसार विवाह करेंगे। अर्थात वैष्णों देवी जो युगों से पिण्ड रूप में हैं उन्हें कल्कि अवतार एक साकार रूप प्रदान करेंगे जो ”माँ वैष्णो देवी“ के साकार रूप ”माँ कलकी। 

चंदौली-गोरखपुर
कल्कि अवतार के कलियुग में हिन्दुस्तान के चंदौली होने पर सभी हिन्दू सहमत हैं परन्तु चंदौली कहाँ है इसमें अनेक मतभेद हैं। कुछ विद्वान चंदौली को उड़ीसा, हिमालय, पंजाब, बंगाल और शंकरपुर में मानते हैं। कुछ सम्भल को चीन के गोभी मरूस्थल में मानते हैं जहाँ मनुष्य पहुँच ही नहीं सकता। कुछ वृन्दावन में मानते हैं। कुछ सम्भल को मुरादाबाद (उ0प्र0) जिले में मानते हैं जहाँ कल्कि अवतार मन्दिर भी है।

विचारणीय विषय ये है कि ”सम्भल में कल्कि अवतार होगा या जहाँ कल्कि अवतार होगा वही सम्भल होगा।“ सम्भल का शाब्दिक अर्थ समान रूप से भला या शान्ति करना या शान्ति होना अर्थात जहाँ शान्ति व अमन हो या शान्ति फैलाने वाला हो, होता है। कल्कि पुराण में सम्भल में 68 तीर्थो का वास बताया गया है। कलियुग में केवल सम्भल ही एक मात्र ऐसा तीर्थ स्थान होगा जो कल्याण दायक और शान्ति प्रदान करने वाला होगा। 

श्रीरामचरितमानस के किष्किन्धाकाण्ड[1] में एक देवी का वर्णन मिलता है। इन्होंने हनुमानजी तथा अन्य बानर बीरों को जल व फल दिया था तथा उन्हें गुफा से निकालकर सागर के तट पर पहुँचाया था। ये देवी स्वयंप्रभा हैं। यही देवी माता वैष्णव के रूप में प्रतिष्ठित हैं। कलयुग के अंतिम चरण में भगवान का कल्कि अवतार होगा। तब ये कल्कि भगवान दुष्टों को दंडित करेंगे और धरती पर धर्म की स्थापना करेंगे।[1] तथा देवी स्वयंप्रभा से श्रीरामावतार में दिए गए वचनानुसार विवाह करेंगे। अर्थात वैष्णों देवी जो युगों से पिण्ड रूप में हैं उन्हें कल्कि अवतार एक साकार रूप प्रदान करेंगे जो ”माँ वैष्णो देवी“ के साकार रूप ”माँ कलकी। (पूर्ण विवरण के लिए देखें-माता वैष्णों देवी श्राइन बोर्ड पब्लिकेशन)[1]

कल्कि अवतार के गुरू –
कल्कि पुराण के अनुसार ”भगवान परशुराम, भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि के गुरू होगें और उन्हें युद्ध की शिक्षा देगें। वे ही कल्कि को भगवान शिव की तपस्या करके दिव्य शस्त्र प्राप्त करने के लिए कहेंगे

कल्कि अवतार मन्दिर -
विष्णु के 24 अवतारों में 24वाँ तथा प्रमुख अवतारों में दसवाँ और अन्तिम कल्कि अवतार ही एक मात्र ऐसे अवतार हैं जिनके अवतरण से पूर्व ही सिद्धपीठों में मूर्तिया स्थापित हो रही है। यूँ तो जहाँ-जहाँ विष्णु के अवतारों को मन्दिर में स्थान दिया गया है वहाँ-वहाँ अन्य अवतारों के साथ कल्कि अवतार की भी प्रक्षेपित (अनुमानित) मूर्ति प्रतिष्ठित है। परन्तु विषेश रूप से निम्न स्थानों पर कल्कि भगवान का मन्दिर निर्मित है। 1.सम्भल (मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत) में जहाँ कल्कि अवतार होना है, वहाँ पर कल्कि भगवान का मन्दिर निर्मित है। जहाँ प्रत्येक वर्ष अक्टुबर-नवम्बर माह में ”कल्कि महोत्सव“ भी धूम-धाम से मनाया जाता है।

3.मथुरा (उत्तर प्रदेश, भारत) के गोवर्धन स्थित श्री गिरिराज मन्दिर परिसर में कल्कि भगवान का मन्दिर स्थापित है जहाँ के बोर्ड पर कलियुग की समाप्ति की सूचना अंकित है साथ ही श्रीकृष्ण को कल्कि का ही अवतार बताया गया है।
4.वाराणसी (उत्तर प्रदेश, भारत) में दुर्गाकुण्ड स्थित दुर्गा मन्दिर परिसर में हनुमान मन्दिर के साथ कल्कि भगवान का मन्दिर दिनांक 19 अक्टुबर, 2012 (शारदीय नवरात्र) को स्थापित किया गया है।

5. अन्य स्थानों श्री कल्कि विष्णु मन्दिर, अजमेरी गेट, दिल्ली; श्री कल्कि मन्दिर दिल्ली; नैमिषारण्य तीर्थ, , कोलकाता; श्री योगमाया मन्दिर,  गया धाम, गया (बिहार); श्री कालका जी मन्दिर, निकट नेहरू प्लेस

 7, काठमाण्डु और सम्भलपुरी कल्कि तीर्थ धाम, नेपाल प्रजापति अंचल, प्यूठान सारी गाविस.1, नेपाल में भी कल्कि भगवान की मूर्ति स्थापित हो चुकी है। कल्कि भगवान के नाम पर नेपाल में विश्व का पहला सरकारी बैंक ”श्री कल्कि बैंक“ खुल चुका है।

कल्कि को विष्णु का भावी और अंतिम अवतार माना गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार पृथ्वी पर पाप की सीमा पार होने लगेगी तब दुष्टों के संहार के लिए विष्णु का यह अवतार प्रकट होगा

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