नक्षत्र परिचय ( Nakshatra )
अश्विनी
प्रथम चरण - पिता को कष्ट तथा भय रहेगा
द्वितीय चरण - सुख सम्पत्ति में वृद्धि होगी
तृतीय चरण - राजकीय कार्यो में विजय तथा नौकरी में प्रगति होगी
चतुर्थ चरण - धन का लाभ तथा परिवार में कोई मांगलिक कार्य होगा
=================================
द्वितीय चरण - सुख सम्पत्ति में वृद्धि होगी
तृतीय चरण - राजकीय कार्यो में विजय तथा नौकरी में प्रगति होगी
चतुर्थ चरण - धन का लाभ तथा परिवार में कोई मांगलिक कार्य होगा
=================================
अश्लेषा
प्रथम चरण - शांति कराने से शुभ फल प्राप्त होगा
द्वितीय चरण - अचानक धन की हानि हो सकती है
तृतीय चरण - माता के लिये अनिष्टकारी रहेगा
चतुर्थ चरण - पिता के धन का अपव्यय होगा एंव बच्चों की शिक्षा में व्यवधान आयेगा
=================================
द्वितीय चरण - अचानक धन की हानि हो सकती है
तृतीय चरण - माता के लिये अनिष्टकारी रहेगा
चतुर्थ चरण - पिता के धन का अपव्यय होगा एंव बच्चों की शिक्षा में व्यवधान आयेगा
=================================
मघा
प्रथम चरण - माता के लिये कष्टकारी रहेगा
द्वितीय चरण - पिता के लिये अनिष्टकारी रहेगा
तृतीय चरण - सुख व समृद्धि आयेगी
चतुर्थ चरण - परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी तथा भौतिक संसाधनों में वृद्धि होगी
=================================
द्वितीय चरण - पिता के लिये अनिष्टकारी रहेगा
तृतीय चरण - सुख व समृद्धि आयेगी
चतुर्थ चरण - परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी तथा भौतिक संसाधनों में वृद्धि होगी
=================================
ज्येष्ठा
प्रथम चरण - बड़े भाई के लिये अनिष्टकारी रहेगा
द्वितीय चरण - छोटे भाई के लिये अशुभ प्रतीत होगा
तृतीय चरण - माता को मानसिक व शारीरिक पीड़ा रहेगी
चतुर्थ चरण - स्वंय को शारीरिक कष्ट रहेगा
=================================
द्वितीय चरण - छोटे भाई के लिये अशुभ प्रतीत होगा
तृतीय चरण - माता को मानसिक व शारीरिक पीड़ा रहेगी
चतुर्थ चरण - स्वंय को शारीरिक कष्ट रहेगा
=================================
मूल
प्रथम चरण - पिता को शारीरिक कष्ट तथा धन की हानि होगी
द्वितीय चरण - माता को शारीरिक कष्ट रहेगा
तृतीय चरण - धन का व्यय तथा आपस में विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न होगी
चतुर्थ चरण - शांति कराने से लाभ होगा
=================================
द्वितीय चरण - माता को शारीरिक कष्ट रहेगा
तृतीय चरण - धन का व्यय तथा आपस में विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न होगी
चतुर्थ चरण - शांति कराने से लाभ होगा
=================================
रेवती
प्रथम चरण - राज्य से सम्मान तथा परिवार में धन का आगमन
द्वितीय चरण -परिवार में वैभव तथा प्रसन्नता रहेगी
तृतीय चरण - नौकरी व व्यवसाय में लाभ होगा। मन प्रसन्नचित्त रहेगा
चतुर्थ चरण - विविध प्रकार के कष्ट आ सकते हैं
=================================
द्वितीय चरण -परिवार में वैभव तथा प्रसन्नता रहेगी
तृतीय चरण - नौकरी व व्यवसाय में लाभ होगा। मन प्रसन्नचित्त रहेगा
चतुर्थ चरण - विविध प्रकार के कष्ट आ सकते हैं
=================================
नक्षत्र अनुसार पाया
1. स्वर्ण पाया – रेवती - अश्विनी - भरणी - कृतिका - रोहिणी - मृगशिरा
स्वर्ण पाया मध्यम शुभ माना गया है.
2. लौह पाया – उत्तराभाद्रपद - पूर्वाभाद्रपद
लौह पाये का जन्म अशुभ और हानिकारक माना जाता है.
3. रजत पाया – आर्द्रा - पुनर्वसु - पुष्य - आश्लेषा - मघा - पूर्वाफाल्गुनी - उत्तराफाल्गुनी - हस्त - चित्रा - स्वाति रजत पाये का जन्म शुभ और श्रेष्ठ माना गया है.
4. ताम्र पाया – विशाखा - अनुराधा - ज्येष्ठा - मूल - पूर्वाषाढ़ा - उत्तराषाढ़ा - श्रवण - धनिष्ठा - शतभिषा
ताम्र पाये का जन्म सामान्य शुभ माना जाता है.
========================================
पं सोनू तिवारी जी
कोई टिप्पणी नहीं