राम नाम के हीरे मोती, मैं बिखराऊं गली गली || Ram Naam Ke Hire Moti ||
रस्ता देखत सबरी कि उम्र गयी सारी ,
कही कोई काटा प्रभु का न चुभ जाये ...
पग पग मघ धारे चुन चुन पुष्प बिछावे ,
मीठे फल चखकर नित्ये सज़ाए थाली ...
कब दर्शन देंगे राम परम हितकारी ,
रस्ता देखत सबरी कि उम्र गयी सारी ...
रघुनाथ प्राण जीवन धन पर बलिहारी ,
रस्ता देखत सबरी कि उम्र गयी सारी ...
कह रघुपति सून भामनी माता ,
मानहु एक भगति कर नाता ...
सात द्वीप नो खंड में सदा होत जो नार
किन्तु के सबरी के विधुर घर तृप्त भयो दो बार ....
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राम नाम के हीरे मोती, मैं बिखराऊं गली गली ।
ले लो रे कोई राम का प्यारा, शोर मचाऊं गली गली ॥
दोलत के दीवानों सुन लो एक दिन ऐसा आएगा,
धन योवन और रूप खजाना येही धरा रह जाएगा ।
सुन्दर काया माटी होगी, चर्चा होगी गली गली,
ले लो रे कोई राम का प्यारा, शोर मचाऊं गली गली ॥
प्यारे मित्र सगे सम्बंधी इक दिन तुझे भुलायेंगे,
कल तक अपना जो कहते अग्नि पर तुझे सुलायेंगे ।
जगत सराय दो दिन की है, आखिर होगी चला चली,
ले लो रे कोई राम का प्यारा, शोर मचाऊं गली गली ॥
क्यूँ करता है तेरी मेरी, छोड़ दे अभिमान को,
झूठे धंदे छोड़ दे बन्दे जप ले हरी के नाम को ।
दो दिन का यह चमन खिला है, फिर मुरझाये कलि कलि,
ले लो रे कोई राम का प्यारा, शोर मचाऊं गली गली ॥
जिस जिस ने यह हीरे लुटे, वो तो माला माल हुए,
दुनिया के जो बने पुजारी, आखिर वो कंगाल हुए ।
धन दौलत और माया वालो, मैं समझाऊं गली गली,
ले लो रे कोई राम का प्यारा, शोर मचाऊं गली गली ॥
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